टूथपेस्ट का इतिहास - History of toothpaste
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चाय हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है सुबह उठते ही लगभग सभी लोगों को चाय पीने की आदत होती है लेकिन आपने कई चाय पत्ती के स्थान पर टी बैग को देखा होगा पर क्या आपने कभी सोचा है टी बैग का आविष्कार किसने किया था अगर नहीं तो आइये जानते हैं जानें कैसे हुआ था टी बैग का आविष्कार - invention of tea bag in Hindi
चाय का इतिहास काफी पुराना है जिस चाय का इस्तेमाल हम बडे ही शौक से आज कल करते हैं उसका इतिहास हजारों साल पुराना है और आपको जानकारी आश्चर्य होगा कि भारत चाय का सबसे बडा उत्पादक देश है लेकिन अगर हम बात करें चाय के इतिहास की तो चाय के इतिहास को लेकर बहुत सारी कहानियॉ प्रचलित हैं एक कहानी के अनुसार क़रीब 2700 ईसापूर्व चीनी शासक शेन नुंग बग़ीचे में बैठे गर्म पानी पी रहे थे तभी एक पेड़ की पत्ती उस पानी में आ गिरी जिससे उसका रंग बदला और महक भी उठी राजा ने चखा तो उन्हें इसका स्वाद बड़ा पसंद आया और इस तरह चाय का आविष्कार हुआ एक दूसरी कहानी के अनुसार छठवीं शताब्दी में चीन के हुनान प्रांत में भारतीय बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म बिना सोए ध्यान साधना करते थे वे जागे रहने के लिए एक ख़ास पौधे की पत्तियां चबाते थे और बाद में यही पौधा चाय के पौधे के रूप में पहचाना गया
भारत में चाय होने की सबसे पहली खबर 1834 में गवर्नर लॉर्ड विलियम बैंटिक को मिली थी. उन्होंने इस काले पेय के बारे में ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों को बताया और फिर एक टीम लेकर असम पहुंचे जहां आम नागरिकों की मदद से चाय के पौधे की तलाश कर ही ली एक साल मेहनत करने के बाद उन्होंने 1835 में असम के अंदर चाय का पहला बाग लगाया अंग्रेज़ों ने चाय उत्पादन की शुरुआत 1836 में भारत और 1867 में श्रीलंका में की पहले खेती के लिए बीज चीन से आते थे लेकिन बाद में असम चाय के बीज़ों का उपयोग होने लगा। भारत में चाय का उत्पादन मूल रूप से ब्रिटेन के बाज़ारों में चाय की मांग को पूरा करने के लिए किया गया था
अंग्रेजों के 1947 में भारत से जाने के बाद सरकार ने चाय के कारोबार को जारी रखा और 1953 में पहली बार टी बोर्ड का गठन किया गया टी बोर्ड के जरिए भारतीय चाय को विदेशों तक पहुंचाना आसान हो गया इसके साथ ही मजदूरों के लिए रोजगार के नए अवसर खुल गए आज दुनिया में भारत सबसे बड़ा चाय निर्माता देश है जिसकी 70 फीसदी खपत अकेले भारत में ही होती है
ऐसा माना जाता है कि टी बैग के आविष्कार का श्रेय न्यूयॉर्क के चाय व्यापारी थॉमस सुलिवन को जाता है कहा जाता है कि वर्ष 1904 में सुलिवन ने अपने ग्रहाकों को चाय के कुछ नमूने रेशम की छोटी छोटी थैलियों में भरकर भेजे थे और उन्होंने इस थैलियों को खोलने की अपेक्षा इन्हें सीघे ही उबले हुऐ पानी में डाल दिया और उन थैलियों में उस पानी में चाय की पत्ती की कमी पूरी कर दी और यहीं से टी बैग का आविष्कार हुआ था
सुलिवन के भेजे हुए टी बैग लोगों को खूब पसंद आये इसी को देखते हुए सूलिवन ने 1920 में टी बैग का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया और जल्द ही ये थैले पूरे अमेरिका में लोकप्रिय हो गए 1940 के दशक की शुरुआत तक टी बैग्स छोटे गोल बोरों से मिलते जुलते थे और जिन टी बैग का इस्तेमाल आजकल किया जाता है इनकी शुरूआत 1944 में हुई थी
नार्को टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जिसका प्रयोग अपराधी या आरोपी व्यक्ति से सच उगलवाने के लिए किया जाता है आपने कई बार समाचार पत्रों में और न्यूज चैनलों पर इस टेस्ट के बारे में सुना होगा पर क्या आप जानते हैं ये टेस्ट क्या होता है और कैसे किया जाता है अगर नहीं तो आइये जानते हैं क्या होता है नार्को टेस्ट और ये कैसे किया जाता है
दरअसल ये टेस्ट उन अपराधीयों पर किया जाता है जो अपराधी आपने अपराध को छुपानी की कोशिश कर रहा हो या अपराध के बारे में पता होने पर भी पुलिस या जॉच ऐजेंसीयों को नहीं बता रहा है तो ऐसे कैस में अपराधी का नार्को टेस्ट किया जाता है और आजकल भारत में यह टेस्ट बहुत ही प्रचलित है हर छोटे बडे कैस में नार्को टेस्ट की मांग की जाती है और ऐसा माना जाता है कि इस टेस्ट को होने के बाद सब सच बाहर आ जाऐगा और कैस सोल्व हो जाऐगा लेकिन ऐसा विल्कुल भी नहीं है कि जिस अपराधी पर नार्को टेस्ट हो रहा है वो विल्कुल सही ही बोले कई बार बहुत शातिर आपराधी इस टेस्ट को कर रही टीम को भी चकमा दे देते हैं तो ये 100 प्रतिशत सही नहीं माना जाता है ये टेस्ट फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक आदि की टीम एकसाथ मिलकर करती है
इस नार्को टेस्ट में अभियुक्त के शरीर में ट्रुथ ड्रग नाम की एक साइकोएक्टिव दवा या फिर सोडियम पेंटोथोल या सोडियम अमाइटल नाम का इंजेक्शन लगाया जाता है इससे अभियुक्त के शरीर की नशों में जाते है, यह केमिकल अपनी प्रतिक्रिया दिखने लग जाता है, जिसका परिणाम अभियुक्त गहरी नींद में जाने लगता है, जिसको बेहोशी की हालत भी कहा जा सकता है, इस हालत में व्यक्ति को न तो पूरी बेहोशी ही आती है और न ही पूरा होश में रहता है इस दवा का असल कुछ समय के व्यक्ति के सोचने समझने की छमता को खत्म कर देता है और व्यक्ति न चाहते हुऐ भी सच बोलता है इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति के शरीर की प्रतिक्रिया भी देखी जाती है जिसमें व्यक्ति को स्क्रीन पर कुछ विजुअल दिखाये जाते हैं जिसमें शुरूआत में कुछ वेसिक विजुअल दिखाये जाते हैं और बाद में कैस से जुडे कुछ फोटो और विडियों उस व्यक्ति को दिखाये जाते हैं और फिर व्यक्ति के शरीर की प्रतिक्रिया भी देखी जाती है और उसके शरीर की प्रतिक्रिया से पता चलता है िकि व्यक्ति उस कैस से जुडा है या नहीं
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Countries and their currencyदेश और उनकी मुद्रा - Countries and their currency |
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