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"K"से शुरू होने वाले समानार्थी शब्‍द - Synonyms Starting With "K"

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Synonyms Starting With "K"

"K"से शुरू होने वाले समानार्थी शब्‍द - Synonyms Starting With "K"

क्र.सं.

शब्‍द

हिन्‍दी अर्थ

समानार्थी शब्‍द

1Keenइच्छुकBitter
2KeepरखनाHold
3Killमार डालनाMurder
4KindदयालुGracious
5Kindleप्रज्वलित करनाA waken
6KindredनाताAffinity
7Knaveधूर्तRascal
8KnowledgeजानकारीInformation
9KnavishबेईमानDishonest


Tag - Synonyms starting with K, Synonyms of word beginning with k, Synonyms for words which start with letter k, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अंग्रेजी

जानें घडी का आविष्‍कार कब,कैसे और क्‍यों हुआ - Know when, how and why the clock was invented

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घडी एक समय बताने वाला उपकरण है जो आजकल घडी समय बताने का नहीं वल्कि फैशन के लिए भी पहनी जाती है आज के समय में घडी सस्‍ती से लेकर काफी महंगी तक आती है हालांकि आजकल समय देखने के और भी विकल्‍प मौजूद हैं फिर भी घडी की अपनी महत्‍वता है तो आइये जानें घडी का आविष्‍कार कब,कैसे और क्‍यों हुआ - Know when, how and why the clock was invented

जानें घडी का आविष्‍कार कब,कैसे और क्‍यों हुआ - Know when, how and why the clock was invented

यह भी पढें - गलती से हुए थे विज्ञान के ये आविष्‍कार

ऐसा माना जाता हैै कि सबसे पहले सूर्य के मुताबिक समय का अनुमान लगाया जाता था लेकिन आसमान में बादल होने की स्थिति में समय का अनुमान नहीं लग पाता था इसके बाद जल घड़ी का आविष्कार हुआ जिसका श्रेय चीन को जाता है चीन देशवासियों ने लगभग तीन हजार वर्ष पहले इस घडी का आविष्‍कार किया था लगभग सवा दो हज़ार साल पहले प्राचीन यूनान यानी ग्रीस में पानी से चलने वाली अलार्म घड़ियाँ तैयार की जिममें पानी के गिरते स्तर के साथ तय समय बाद घंटी बज जाती थी

इसके बाद इंग्लैंड के एलफ़्रेड महान ने मोमबत्ती की सहायता से समय का अनुमान लगाने की विधि बनाई जिसमे उन्होने एक मोमबत्ती पर समान दूरियो पर चिन्ह अंकित किये और मोमबत्ती के पिघलने से समय का अनुमान लगाया जाता था

लेकिन आधुनिक घड़ी के आविष्कार का श्रेय जाता है पोप सिलवेस्टर द्वितीय को जाता है जिन्होंने सन् 996 में घड़ी का आविष्कार किया यूरोप में घड़ियों का प्रयोग 13वीं शताब्दी के मध्‍य में होने लगा था इसके अलावा सन 1288 मे इंग्लैंड के वेस्टमिस्टर के घंटाघर मे और अलबान्स मे सन 1326 मे घड़ियाँ लगाई गई

सन् 1300 में हेनरी डी विक ने पहिया डायल तथा घंटा निर्देशक सूईयुक्त पहली घड़ी बनाई थी जिसमें सन् 1700 ई. तक मिनट और सेकंड की सूइयाँ तथा दोलक लगा दिए गए थे आजकल की यांत्रिक घड़ियाँ इसी शृंखला की संशोधित कड़ियां हैं

इसके बाद 1504 में डिमिनीश हेनलेन ने एक टाइमपीस बनाया जिसे पहनना और कहीं भी ले जाना आसान था लेकिन ये टाइमपीस सहीं समय नहीं बताती थी क्‍योंकि ये लोगों के घूमने के साथ टाइम बदल देती थी डिमिनीश हेनलेन के बाद पटेक फिलिप ने उन्‍नीसवीं शताब्‍दी में कलाई घडी का आविष्‍कार किया इन्‍होंने महिलाओं के लिए कलाई घडी बनाई थी और लुई कार्टियर ने बीसवीं शताब्‍दी में पुरूषों के लिए घडी विकसित की थी

इतिहासकारों के मुताबिक सन 1577 में घड़ी की मिनट वाली सुई का आविष्कार स्विट्ज़रलैंड के जॉस बर्गी द्वारा उनके एक खगोलशास्त्री मित्र के लिए किया गया था

सबसे पहली हाथ घड़ी पहनने वाले व्यक्ति थे फ़्राँसीसी गणितज्ञ और दार्शनिक ब्लेज़ पास्कल जो घड़ी को रस्सी के जरिये अपने हाथ पर बाँध लिया करते थे ताकि काम करते करते भी वो आसानी से समय देख सकें ये वही ब्लेज़ पास्कल हैं जिन्हें कैलकुलेटर का आविष्कारक भी माना जाता है इससे पहले लोग घडी को जेब में रखकर घूमते थे

इसके बाद 1504 में डिमिनीश हेनलेन ने एक टाइमपीस बनाया जिसे पहनना और कहीं भी ले जाना आसान था लेकिन ये टाइमपीस सहीं समय नहीं बताती थी क्‍योंकि ये लोगों के घूमने के साथ टाइम बदल देती थी डिमिनीश हेनलेन के बाद पटेक फिलिप ने उन्‍नीसवीं शताब्‍दी में कलाई घडी का आविष्‍कार किया इन्‍होंने महिलाओं के लिए कलाई घडी बनाई थी और लुई कार्टियर ने बीसवीं शताब्‍दी में पुरूषों के लिए घडी विकसित की थी
Tag - When the first clock was invented, History of timekeeping devices, The first modern-day clock, A History of Clocks, A brief history of telling time, who invented the first clock

क्‍या होती है महामारी कैसे होती है इसकी घोषणा - What is an epidemic

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क्‍या होती है महामारी कैसे होती है इसकी घोषणा - What is an epidemic - जैसा कि हम जानते हैं कोरोना वायरस ((Coronavirus disease - COVID-19))से पूरी दुनियॉ में तहलका मचा रखा है दुनियॉभर में लगभग 114 देश इस वायरस की चपेट में हैं इस वायरस की चपेट में आने से लगभग 4500 लोग अपनी जान गवा चुके हैं और लगभग 119000 लोग इसकी चपेट में हैं इस बिमारी को महामारी घोषित किया गया है पर क्‍या आप जानते हैं क्‍या है होती है महामारी कैसे होती है इसकी घोषणा अगर नहीं तो आइये जानते हैं क्‍या है होती है महामारी कैसे होती है इसकी घोषणा - What is an epidemic 

क्‍या है होती है महामारी कैसे होती है इसकी घोषणा - What is an epidemic

वह बीमारी जो दुनिया भर में फैल जाती है उसे पैनडेमिक या महामारी कहते हैं जबकि एपिडेमिक किसी एक देश, राज्य, क्षेत्र या सीमा तक सीमित होती है जब कोई बिमारी इतनी भयानक हो गई हो कि उसके लक्षणों या प्रकृति में कोई बड़ा बदलाव नहीं हो जाता है और वह किसी एक देश या सीमा तक सीमित न रही हो और दुनिया के कई देशों में बड़े पैमाने पर फैलने लगती है तो उसको उस बिमारी को महामारी घोषित किया जाता है

कैसे घोषित होती है महामारी - How is an epidemic declared

महामारी की घोषणा WHO (world health organization) द्वारा की जाती है साथ ही यह भी ध्यान रखा जाता है कि महामारी घोषित होने के बाद कोई अनावश्यक खौफ या डर की स्थिति पैदा न हो जाए जब कई देशों में स्थानीय स्तर पर आपस में लोगों के बीच बीमारी लगातार फैलने लगती है तब ही उसको महामारी घोषित किया जाता है जैसे साल 1918 से 1920 तक फैले स्पैनिश फ्लू को महामारी घोषित किया गया था क्योंकि इससे कई देशों में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे इससे करोड़ों मौत हो गई थी वहीं 2014-15 में फैले इबोला को एपिडेमिक घोषित किया गया क्योंकि यह बीमारी लाइबेरिया और उसके पश्चिम अफ्रीका के कुछ पड़ोसी देशों में फैली थी महामारी घोषित होने के बाद यह सरकार के लिए एक तरह अलर्ट का काम करता है सरकार और हेल्थ सिस्टम को बीमारी से निपटने के लिए विशेष तैयारी करनी पड़ती है

Tag - Epidemic vs. Pandemic, types of epidemics, epidemic definition,

क्‍या होता है लॉक डाउन क्‍या हैै इसका फायदा - What is the lockdown

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क्‍या होता है लॉक डाउन क्‍या हैै इसका फायदा - What is the lockdown - चीन से शुरू होने वाला खतरनाक वायरस कोरोनाने इस समय दुानियॉ में तहलक मचा रखा है और अभी तक किसी भी देश के पास इसका कोई इलाज नहीं है और ये एक ऐसा वायरस है जो कि एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति में फैलता हैै तो इसी को रोकने के लिए लॉक डाउन करना पड रहा है पर क्‍या आप जानते हैं कि लॉक डाउन क्‍या होता है अगर नहीं तो आइये जानते हैं क्‍या होता है लॉक डाउन क्‍या है इसका फायदा - What is the lockdown

क्‍या होता है लॉक डाउन क्‍या है इसका फायदा - What is the lockdown

सबसे पहले तो लॉक डाउन से आप लोगों को डरने की काई जरूरत नहीं है क्‍योंकि लॉक डाउन आप सभी को कोरोनानामक खतरनाक वायरस से बचाने के लिऐ है लॉकडाउन (Lock down) का मतलब है ताला बंदी लॉकडाउन एक इमर्जेंसी व्यवस्था होती है अगर किसी क्षेत्र में लॉकडाउन हो जाता है तो उस क्षेत्र के लोगों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं होती है जीवन के लिए आवश्यक चीजों के लिए ही बाहर निकलने की अनुमति होती है अगर किसी को दवा या अनाज की जरूरत है तो बाहर जा सकता है या फिर अस्पताल और बैंक के काम के लिए अनुमति मिल सकती है छोटे बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल के काम से भी बाहर निकलने की अनुमति मिल सकती है

भारत में तो अभी कुछ ही राज्‍यों में लॉकडाउन की स्थित है लेकिन चीन, डेनमार्क, अल सलवाडोर, फ्रांस, आयरलैंड, इटली, न्यूजीलैंड, पोलैंड और स्पेन में लॉकडाउन जैसी स्थिति है चूंकि चीन में ही सबसे पहले कोरोनावायरस संक्रमण का मामला सामने आया था, इसलिए सबसे पहले वहां लॉकडाउन किया गया इटली में मामला गंभीर होने के बाद वहां के प्रधानमंत्री ने पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया। उसके बाद स्पेन और फ्रांस ने भी कोरोना संक्रमण रोकने के लिए यही कदम उठाया है

कब कब हुआ लॉक डाउन


  • अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले के बाद वहां तीन दिन का लॉकडाउन किया गया था
  • दिसंबर 2005 में न्यू साउथ वेल्स पुलिस फोर्स ने दंगा रोकने के लिए लॉकडाउन किया था
  • 19 अप्रैल, 2013 को बोस्टन शहर को आतंकियों की खोज के लिए लॉकडाउन कर दिया गया था
  • नवंबर 2015 में पैरिस हमले के बाद संदिग्धों को पकड़ने के लिए किया गया था 2015 में ब्रुसेल्स में पूरे शहर को लॉकडाउन किया गया था

Tag - Coronavirus, Covid-19 coronavirus,

विदेशों में बैन है भारत में बिकने वाली ये चीजें - These things sold in India arebanned abroad

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विदेशों में बैन है भारत में बिकने वाली ये चीजें - These things sold in India arebanned abroad -हम अपनी रोजाना की भागदौड भरी जिंदगी में बहुत सारी ऐसी बस्‍तुओं का प्रयोग करते हैं जो हमें लगती हैं कि ये चीजें हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी हैं लेकिन आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि आप भारत में जिन चीजों का इस्‍तेमाल धडल्‍ले से करते हैं उनमें से बहुत सारी चीजें विदेशों में बैन हैं तो आइये जानते हैं विदेशों में बैन है भारत में बिकने वाली ये चीजें - These things sold in India are banned abroad

विदेशों में बैन है भारत में बिकने वाली ये चीजें - These things sold in India are banned abroad

यह भी पढें - जानें घडी का आविष्‍कार कब,कैसे और क्‍यों हुआ

रेड बुल (Red Bull)

रेड बुल एक ऊर्जा पेय पदार्थ है ये 1987 में एक ऑस्ट्रियाई कंपनी द्वारा बनाई गई थी ये ड्रिंक भारत में खूब बिक रही है हालांकि ये ड्रिंक भारत के बडे शहरों में काफी अधिक संख्‍या में प्रयोग में लाई जाती है इस ड्रिंक को पीने से शरीर में थोड़ा टाइम एनर्जी तो जरूर रहती है लेकिन भविष्य में इसका सेवन डिप्रेशन , हाइपरटेंशन तथा हृदय संबंधी बीमारियों का कारण बनता है यूरोप के उच्‍च न्‍यायालय ने तो इसे सीधा बैन कर दिया है माना जा रहा है कि इसे पीने से लोगों की मौत हो रहीं है इसके अंदर अधिक मात्रा में इस्‍तेमाल होने वालेे कैफीन और दूसरे केमिकल्‍स मानव शरीर के लिए काफी हानिकारक हैं

सर्दी व सरर्दद की दवाईयां (Cold and headache medicine)

जब भी हमें कभी सर्दी होती है या सर में दर्द होता है तो हम बिना किसी डॉक्‍टर की सलाह से बाजार से कोई भी सर्दी या सरदर्द की दवा खा लेते हैं हालांकि उन गोलियॉ से हमारी सर्दी और सरदर्द ठीक भी हो जाता है यहॉ तक कि अगर कोई नयी दवा बाजार में आती है तो उसका खूब प्रचार किया जाता है ताकि अधिक से अधिक लोग उसका इस्‍तेमाल कर सकें पर क्‍या आप जानते हैं इनमें कई ऐसे तत्व होते हैं जिनके कारण डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी आदि दूसरी तरह की बीमारियों के चांस बढ़ जाते हैं ऐसा माना जाता है कि इसमें फेनयलप्रोपनॉलमीने नाम के एक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है जो असल में अधिकतर देशों में बैन किया गया है

कीटनाशक (Pesticide)

भारत में कीटनाशक दवायेंं बडी संख्‍या में बेची जाती है हर बर्ष कई तरह की कीटनाशक दवा बाजार में बिकने के लिए आ जाती है दरअसल इनका प्रयोग खेतों में अनाज की फसल को उगाने और उसको किट-पतंगों जैसी बिमारीयों से दूर रखने के लिये होता है लेकिन अमेरिका समेत कई देशों ने कीटनाशक को अपने यहॉ बैन कर रखा है हालांकि कई कीटनाशक दवाओं को तो भारत में भी बैन कर दिया गया है लेकिन फिर भी बहुत सारी हानिकारक कीटनाशक दवायें भारतीय बाजारों में बिक रही हैं दरअसल इन दवाओं में प्रयोग होने वाले हानिकारक कैमिकल खाने के साथ हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और अनेकों स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देते हैं

किंडर जॉय (Kinder Joy)


भारत में बिकने वाला ये चोकलेट बच्‍चों की बहुत ही पंसदीदा चीज है ये भारत में बहुत बडे स्‍तर पर विकती है लेकिन अमेरिका केे साथ कई देशों में ये बैन है क्‍योंकि उनका मनाना है कि ये चोकलेट बच्‍चों के लिए हानिकारक है ये चॉकलेट बच्चों के गले में फंस सकती है इसके साथ मिलने वाला खिलौना आकार में बहुत छोटा होता है जिसे छोटे बच्चे निगल सकते हैं

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दुनिया में तबाही मचा चुकी हैं ये बीमारियां - These diseases have caused havocin the world

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कोरोना वायरस (corona virus)से होने वाली तवाही को तो आप देख ही रहे हैं इस वायरस ने पूरी दुनियॉ में हाहाकार मचा रखा है लेकिन ये पहला मौका नहीं जब ऐसे किसी वायरस ने दुनियॉ में तहलका मचाया हो इससे पहले भी कुछ महामारीयों ने ऐसा तहलता मचाया था तो आइये जानते हैं दुनिया में तबाही मचा चुकी हैं ये महामारी - These diseases has caused havoc in the world

दुनिया में तबाही मचा चुकी हैं ये महामारी - This diseases has caused havoc in the world

ब्लैक डेथ (Black death)

यह तबाही प्लेग के रूप में आई जिसने करोड़ों लोगों की जानें ले लीं ये बीमारी पहले चीन, मिस्र और ईरान से होते हुए पश्चिम के देशों में फैली इस बिमारी को फैलने का सही कारण पता नहीं लग पाया कुछ लोगों का मानना था कि ये बिमारी जानवरों से इंसानों में फैली और कुछ का मानना था कि ये इंसानों से इंसानों में, इस बिमारी से आदमी की 5 से 7 दिनों में मौत हो जाती थी इसमें 7.5 से 20 करोड़ लोगों की मृत्यु हो गई थी इसकी शुरूआत 1346 से 1353 में हुई इस के कारण यूरोप में कुल आबादी के 30–60% लोगों की मौत हो गई थी ब्लैक डेथ उस समय की आई हुई सबसे खतरनाक बीमारी थी जिसका इलाज उस समय नामुमकिन था

स्पैनिश फ्लू (Spanish Flu)

डब्ल्यूएचओ के अनुसार सितंबर 1918 में स्पेनिश फ्लू की शुरुआत देखी गई थी, जब यूएस मिलिट्री का एक जवान इस फ्लू से पीड़ित पाया गया, जिसकी जांच पड़ताल के बाद इस वायरस की पहचान की गई सन 1918 के दौरान इस फ्लू की वजह से लगभग 7 से 10करोड लोगों ने अपनी जान गवा दी थी. लगभग 50 करोड़ लोगों को इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था. इस वायरस की वजह से लगभग 3 महीने के अंदर दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या को आघात पहुंच गया था इस वायरस की चपेट में जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, यूनाइटेड स्टेट्स और भारत आये थे

एशियन फ़्लू (Asian Flu)

एशियन फ़्लू H2N2 उपप्रकार के इन्फ्लुएंजा ए का एक महामारी प्रकोप था वर्ष 1956 से 1958 के दौरान इस जानलेवा इंफ्लूंजा ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया दुनिया की आबादी का एक-तिहाई हिस्सा इसका शिकार बना और करीब 20 से 50 लाख लोगों की जान गई इस बीमारी से 50 करोड़ लोग प्रभावित हुए और मरने वालों का आंकड़ा 10 से 20 फीसदी के बीच रहा इस बीमारी से पहले सप्ताह में ही 2.5 करोड़ लोग मारे गए.

इबोला वायरस (Ebola virus)

अफ्रीका के सूडान में रोग की पहचान सबसे पहले सन 1976 में इबोला नदी के पास स्थित एक गाँव में की गई थी इसी कारण इसका नाम इबोला पडा इबोला एक ऐसा रोग था जो मरीज के संपर्क में आने से फैलता था इबोला का नाम कागों की एक सहायक नदी इबोला के ऊपर पड़ा था और वायरस सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया था इबोला के मरीजों की 50 से 80 फीसदी मौत रिकॉर्ड की गई थी इस रोग में रोगी की त्वचा गलने लगती थी यहाँ तक कि हाथ-पैर से लेकर पूरा शरीर गल जाता था ऐसे रोगी से दूर रह कर ही इस रोग से बचा जा सकता था

एड्स (AIDS)

एड्स जिसका पूरा नाम (Acquired immune deficiency syndrome) है एड्स HIV मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (Human immunodeficiency virus) से होता है जो कि मानव की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है सबसे पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में जानवरों में मिला था. इंसानों में यह चिम्पांजी से आया था. 1959 में कांगों के एक बीमार आदमी के खून का नमूना लिया गया 1986 में पहली बार इस वायरस को एचआईवी यानी Human immunodeficiency virus वायरस का नाम मिला

जीका वायरस (ZIKA Virus)

वर्ष 1947 में कुछ वैज्ञानिक पीले बुखार का शोध कर रहे पूर्वी अफ्रीकी विषाणु अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को जिका के जंगल में रीसस मकाक (एक प्रकार का लंगूर) को पिंजरे में रख कर अपना शोध कर रहे थे उस बंदर को बुखार हो जाता था 1952 में उसके संक्रामक घटक को जिका विषाणु नाम से बताया गया इसके 7 साल बाद 1954 में नाइजीरिया के एक व्यक्ति में यह वायरस पाया गया. इस वायरस के ज्यादा मामले पहली बार 2007 में अफ्रीका और एशिया के बाहर देखने को मिले. और अब 2018 में राजस्थान के जयपुर में जीका वायरस के 22 मामले सामने आए थे

Tag - Infectious Disease Emergence, deadly viruses that wreaked havoc on earth, Climate change and infectious diseases, Humanity's Long History of Making Epidemics Worse,These epidemic has caused havoc in the world, These diseases has caused havoc in the world

Article 19

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अपने सड़क पर सफर करते हुए देखा होगा कि वाहनों में अलग-अलग रंग की नंबर पर लगी होती है जैसे कि पीली नंबर प्लेट सफेद नंबर प्लेट गाड़ी नंबर प्लेट पर क्या आप जानते हैं अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट का क्या मतलब होता है अगर नहीं तो आइए जानते हैं


जानें हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा के बारे में - Know about hydroxy chloroquinemedicine

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जानें हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा के बारे में - Know about hydroxy Chloroquinemedicine - पूरी दुनियॉ मेंकोरोना वायरसके मरीजों की बढती संख्‍या को देखते हुए आजकल हाइड्रोक्‍सीक्‍लोरोक्‍वाइन नाम की दवा की बहुत मांग बढ गई पर क्‍या आप जानते हैं कि क्‍या है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा और क्‍यों इसकी अब इतनी मांग है अगर नहीं तो आइये जानें हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा के बारे में - Know about hydroxy chloroquine medicine

जानें हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा के बारे में - Know about hydroxy chloroquine medicine

सबसे पहले हम आपको बता दें इस दवा का भारत सबसे बडा निर्यातक है ऐसा माना जा रहा है कि ये दवा कोरोना वायरस पर कारगर सावित हो रही है इसी को देखते हुए अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भी भारत से इस दवा की मांग की है और कहा कि भारत दवा से प्रतिबंध हटा दे अब भारत ने इस दवा से प्रतिबंध हटा दिया है लेकिन ये दवा देश से वाहर तभी भेजी जाऐगी जब देश में इसकी पूर्ती हो जाऐगी एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका सहित दुनिया के करीब 30 देशों ने भारत से इस दवा की मांग की है

भारत इस दवा के इस्तेमाल को लेकर भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध या संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, जिनमे डॉक्टर, नर्से, सफाई कर्मचारी, हेल्पर आदि के इलाज के लिए सिफारिश की थी। इसी को देखते हुए इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी

ये दवा एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से अलग है इस दवा को मलेरिया के उपचार में तो इस्तेमाल किया ही जाता है, साथ ही इसका प्रयोग आर्थराइटिस के उपचार में भी होता है 19 मार्च को द लैंसेट ग्‍लोबल हेल्‍थ में लिखे गये लेख में यह बताया गया कि इस दवा को कोरोनावायरस के खिलाफ प्रयोग मे लाया जा सकता है इस दवा का असर SARS-CoV-2 पर पडता है जो COVID-2 का कारण है

मलेरिया में इस्तेमाल होना वाली दवा क्लोरीकिन के साइड इफेक्ट में सिर चकराना, सिर दर्द, मूड का खराब होना, स्किन में खुजलाहट, सूजन, क्रैम्प, स्किन का पीला पड़ जाना, मांसपेशियों में कमजोरी, नाक से खून बहना और सुनने में दिक्कत होना शामिल है ओवरडोज से मौत तक हो सकती है हाइड्रोक्सीक्लोरीकिन से सिर दर्द, सिर चकराना, ब्लड ग्लूकोज का कम होना, नींद आना, भूख कम लगना, अवसाद, अंधापन, क्रैम्प और दिल का काम करना बंद कर देना शामिल है

Tag - Hydroxychloroquine, Things to know about Hydroxychloroquine, Know about hydroxy chloroquine medicine


क्‍या अंतर होता है सीलिंग और लॉकडाउन में - What is the difference betweensealing and lockdown

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ये तो हम जानते हैं कि देश में इस समय लॉकडाउन चल रहा है और ये कब तक चलेगा इसका किसी को अंदाजा नहीं है ये लॉकडाउन केवल कोरोनावायरसको ज्‍यादा फैलने से रोकन के लिए है किया गया है लेकिन लॉकडाउन होने के बाद भी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्‍या बढती जा रही है तो देश के कुछ इलाकों में सीलिंग की गई है पर क्‍या आप जानते हैं कि लॉकडाउन और सीलिंग में क्‍या अंतर होता हैै अगर नहींं तो आइये जानते हैं क्‍या अंतर होता है सीलिंग और लॉकडाउन में - What is the difference between sealing and lockdown

क्‍या अंतर होता है सीलिंग और लॉकडाउन में - What is the difference between sealing and lockdown

लॉकडाउन (Lockdown)


लॉकडाउन के समय आपको जरूरी सामान लाने की इजाजत होती है जिसमें दवा,दूध, किराना शामिल हैं लॉकडाउन के दौरान आप एहतियात के साथ जरूरी सामान लेने बाहर जा सकते हैं मगर बेवजह घरों से निकलने पर कानूनी रोक होती है अगर लॉकडाउन के दौरान कोई फालतू अपने घर से बाहर घूमता हुआ पाया जाता हैै तो पुलिस उस पर तुरंत कानूनी कार्यवाही नहीं करती हैै उसे घर में रहने की सलाह दी जाती है लॉकडाउन के दौरान सभी गैर-जरूरी गतिविधियों और सेवाओं पर रोक लगाई जाती है 

सीलिंग (Sealing)

सीलिंग के लिए जिस ऐरिया को चुना जाता है उस ऐरिया के किसी को भी जाने की अनुमती नहीं होती है और उस ऐरिया में से भी कोई व्‍यक्ति बाहर नहीं जा सकता है केवल उस ऐरिया के तीन किलोमीटर केे दायरे पुलिस कमिर्यों स्‍वास्‍थय कमिर्यों और सुफाई कमिर्यों को ही जाने की अनु‍मति होती है इस दौरान मीडिया को भी उस इलाके में जाने नहीं दिया जाता है अगर काई मिडिया कर्मी उस इलाके में रह रहा है तो वह अपने दफ्तर आ-जा सकता है अगर इस इलाके में कोई बीमार है तो आप उसे अपनी गाडी में नहीं ले जा सकते है उसके लिए आपको एम्‍व्‍यूलेंस बुलानी होगी बही मरीज को ले जा सकती है सीलिंग वाले ऐरिया में जरूरी सामना की होग डिलीवरी प्रशासन द्वारा की जाती है ऐसे में काई भी व्‍यक्ति अपने घर से बाहर पाया जाता है तो उसके खिलाफ तुरंत कानूनी कार्यवाही की जाती है 

Tag - What's difference between sealed & lockdown, Corona, Lockdown And Sealing, Coronavirus pandemic,

ये हैं भारत के सबसे महंगे होटल - These are the most expensive hotels in India

Article 15

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ये तो हम जानते हैं क‍ि देश में इस समय लॉकडाउन चल रहा है सरकार हर संभव प्रयास कर रही हैं कि आप अपने घर मे ही रहे जब तक कि आपको कोई जरूरी काम न हो दरअसल हम आपको बता दें जिस कोरोना वायरस से पूरा विश्‍व परेशान है भारत में उस वायरस का पहला ममला 30 जनवरी 2020 को आया था जब भारत के केरल राज्‍य का एक छात्र चीन के बुहान स्थित एक विश्‍वि‍विद्यालय से एक छात्र पढाई कर वापस आया था और देखते ही देखते 22 मार्च तक इस वायरस से संक्रि‍मित होने वाले मरीजों की संख्‍या 500 हो गई इसी को गंभीरता से लेते हुुुऐ देश में 22 मार्च को जनता कफ्यू की घोषणा की गई और 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन की ि‍जिसकी अवधि 14 अप्रैल को पूरी होनी थी लेकिन मरीजों की संख्‍या ि‍फिर भी लगातार बढता देख ि‍फिर से 14 अप्रैल को अगते 19 दिनों तक लॉकडाउन की घोषणा की गई यानि कि 3 मई तक देख में कुल 40 दिनों का लॉकडाउन हो जाऐगा


जानें किसको हुआ लॉकडाउन से फायदा - Know who benefited from the Lockdown

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दोस्‍तो ये तो हम जानते हैं किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं जैसे कि अगर किसी चीज से किसी को फायदा हो रहा है तो किसी दूसरे को उससे फायदा अवश्‍य हो रहा होगा उदाहरण के तौर अगर हम कोरोना वायरसकी बात करेें तो एक तरफ जहॉ पूरी मानव जाति इससे परेशान है वहीं पृक्रति को इससे बहुत बडा फायदा हो रहा है तो आइये जानें किसको हुआ कोरोना वायरस से फायदा - Know who benefited from the Lockdown

जानें किसको हुआ लॉकडाउन से फायदा - Know who benefited from the Lockdown

जी हॉ दोस्‍तो कोरोना वायरस का प्रकृति को बहुत बडा फायदा हुआ है जहॉ पहले प्रदूषण के कारण हमें आसमान तक साफ नजर नहीं आता था वहीं हम असमान और भी नीला नजर आने लगा है मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण में भी भारी गिरावट देखी जा रही है भारत के बडे शहर जैसे मुम्‍बई, दिल्‍ली, कोलकाता जैसे शहर जहॉ आपको हर वक्‍त वाहनों की आवाज और चारों और प्रदूषण का धुंआ नजर आजा था वो सभी शहर अब पूरी तरह से शांत हैं शहर पूरी तरह साफ हो चुके हैं हवा की गुणवत्ता का स्तर अच्‍छा हो चुका हैै लॉकडाउनके दौरान कुछ इलाकों में 0-50 तक हवा की गुणवत्‍ता पहुॅॅॅच चुकी है आम दिनों में यह स्तर 100 से 150 के बीच रहता है केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन लागू होने से पहले और लॉकडाउन के बाद इन शहरों में प्रदूषण के लिये जिम्मेदार कारक तत्वों के ग्राफ में खासी गिरावट दर्ज की गयी है इनमें सबसे ज्यादा राहत एनसीआर के तीन शहरों दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम को मिली है इन शहरों में लॉकडाउन के दौरान हवा की गुणवत्ता से जुड़े सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक जयपुर में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा में 55 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गयी है हम आपको बता दें डीज़ल वाहनों से जो धुआं निकलता है उनमें हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइड तथा सूक्ष्म कार्बनमयी कणिकाएं मौजूद रहती हैं पेट्रोल चलित वाहनो के धुएं में कार्बन मोनो ऑक्साइड व लेड मौजूद होते हैं। लेड एक वायु प्रदूषक पदार्थ है डीज़ल चालित वाहनों की अपेक्षा पेट्रोल चालित वाहनों से प्रदूषण अधिक होता है एक अनुमान के अनुसार, एक मोटरगाड़ी एक मिनट में इतनी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन खर्च करती है जितनी कि 1135 व्यक्ति सांस लेने में खर्च करते हैं डीज़ल एवं पेट्रोल चालित वाहनों में होने वाले दहन से नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड भी उत्पन्न होती है जो सूर्य के प्रकाश में हाइड्रोकार्बन से करके रासयनिक धूम कुहरे को जन्म देते है। यह रासायनिक धूम कोहरा मानव के लिए बहुत खतरनाक है सन् 1952 में पांच दिन तक लन्दन शहर रासायनिक धूम कुहरे से घिरा रहा, जिससे 4000 लोग मौत के शिकार हो गये एवं करोड़ों लोग हृदय रोग तथा ब्रोंकाइटिस के शिकार हो गये थे

हवा हुई साफ

वाहनों की बढ़ती संख्या और पेड़ों की घटती संख्या के कारण प्रदूषण के प्रकार और उसकी तीब्रता में हर वर्ष बढ़ोत्तरी होती जा रही थी दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण बहुत खतरनाक स्तर पर पहुँच चुका था जो अब कम हो चुका है वायु में मौजूद PM 2.5 और PM 10 कणों में कमी आयी है पीएम यानि PM यानी पार्टिकुलेट मेटर जो कि वायु में मौजूद छोटे कण होते हैं PM को पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) या कण प्रदूषण (particle pollution) भी कहा जाता है, जो कि वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है हवा में मौजूद कण इतने छोटे होते हैं कि आप नग्न आंखों से भी नहीं देख सकते हैं. कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. PM10 और 2.5 धूल, कंस्ट्रदक्शेन की जगह पर और कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ते हैं हम आपको बता दें कि हवा में PM2.5 की मात्रा 60 और PM10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है ये कण आपके फेफड़ों में चले जाते हैं जिससे खांसी और अस्थमा के दौरे पढ़ सकते हैं. उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन जाता है, इसके परिणामस्वरूप समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है. क्या आप जानते हैं कि PM2.5 का स्तर ज्यादा होने पर धुंध बढ़ती है और साफ दिखना भी कम हो जाता है. इन कणों का हवा में स्तर बढ़ने का सबसे बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है.

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अर्थ सिस्टम साइंस विभाग के प्रोफेसर मार्शल बर्क ने बताया कि चीन में कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन की वजह से करीब 50 से 75 हजार लोग प्रीमैच्योर मौत (समय से पहले) से बच गए यानी प्रदूषण का स्तर अगर पहले जैसा रहता तो इस साल के अंत तक इतने लोग प्रदूषण से ही मर जाते हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है प्रदूषण से होने वाली बिमारीयॉ जैसे स्ट्रोक, हृदय रोग, और श्वसन से एक वर्ष में लगभग 4.2 मिलियन लोगों की जान चली जाती है स्टैनफोर्ड के पृथ्वी-प्रणाली विज्ञान विभाग में एक प्रोफेसर, मार्शल बर्क के विश्लेषण के अनुसार इस महामारी केे कारण लगे लॉगडाउन के करण अब तक लगभग 4000 छोटे बच्चों और 73000 बुजुर्ग वयस्कों की जान बचाई गयी है

छोटे भूकंपों का पता लगाना हुआ आसान

पृथ्वी की गति का अध्ययन करने वाले शोधकर्ता भूकंपीय शोर में गिरावट की रिपोर्ट कर रहे हैं पृथ्वी की पपड़ी में कंपन जो परिवहन नेटवर्क और अन्य मानवीय गतिविधियों के बंद होने का परिणाम हो सकता है वे कहते हैं कि अब भूकंप डिटेक्टर छोटे भूकंपों को देख सकते हैं और ज्वालामुखीय गतिविधि और अन्य भूकंपीय घटनाओं की 
निगरानी के प्रयासों को बढ़ावा दे सकते हैं

सडक पर दिखें लगे जंगली जानवर

चंडीगढ़ के सेक्टर 5 में ट्रैफिक बंदी के चलते तेंदुए दिखाई देने लगे हैं वहीं कोझीकोड की सड़क पर में 27 मार्च को मालाबार सिवीट नाम की बिग केट दिखाई दी मघ्‍यप्रदेश के बैतूल में हाईवे पर हिरणों के झुंड के बेखौफ आराम फरमाते दिखे मुंबई महानगर के मरीन ड्राइव पर भी समुद्र में डॉल्फिन अठखेलियां करती नजर आ रही हैं ओडिशा के समुद्र तटों पर ओलिव रिडले कछुए चहलकदमी करते दिखाई दे रहे हैं

ओजोन की परत को फायदा

ओजोन परत की खोज फ्रांस के दो वैज्ञानिकों फैबरी चालर्स और होनरी बुसोन ने की थी ओजोन एक हल्के नीले रंग की गैस होती है ओजोन परत आमतौर धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है ये पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमें ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है ओजोन परत के कारण ही धरती पर जीवन संभव है क्योंकि ये हमें सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाती है ओजोन लेयर में छेद हो गया है इस बात का पता सबसे पहले दुनिया को 1980 में चला था सूरज की परबैंगनी किरणें अगर सीधे हम पर पड़ें तो स्किन कैंसर, मोतियाबिंद हो सकता है यहां तक कि हमारा इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है ओजोन लेयर इन किरणों को अवशेषित कर लेती है इसीलिए इसे पृथ्वी का सुरक्षा कवच कहा जाता है अगर इसे नुकसान पहुंचता रहा तो हमारा अल्ट्रा वॉयलेट किरणों की वजह से होने वाली बीमारियों से बचना मुश्किल हो जाएगा

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क्‍या है आरोग्‍य सेतु ऐप और ये कैसे काम करता है - What is Arogya Setu App and howit works

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भारत सरकार ने कोरोना वायरससे लोगों को बचाने के लिए 3 अप्रैल को आरोग्‍य सेतु नाम का ऐप लॉन्‍च किया और कहा ये ऐप आपको कोरोना संक्रमित होने से बचा सकता है हो सकता है कि आपने अपने फोन में इसे इंटॉल भी कर रखा होगा लेकिन बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जो इस ऐप के बारे में जानते हैं कि ये ऐप कैसे काम करता है तो आइये जानते हैं क्‍या है आरोग्‍य सेतु ऐप और ये कैसे काम करता है - What is Arogya Setu App and how it works

क्‍या है आरोग्‍य सेतु ऐप और ये कैसे काम करता है - What is Arogya Setu App and how it works

कोरोना वायरस के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए और उस वायरस से लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित एक COVID -19 ट्रैकिंग मोबाइल एप्लिकेशन को शुरू किया है जो भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है आरोग्‍य सेतु नाम का यह ऐप अब तक 5 करोड से भी ज्‍यादा लोगों द्वारा इंटॉल किया जा चुका है यह ऐप प्रत्येक भारतीय के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए डिजिटल इंडिया से जुड़ा है सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि ये ऐप यूजर्स की निजता को ध्यान में रखकर बनाया गया है सबसे पहली महत्वपूर्ण बात तो यह है कि आरोग्य सेतु ऐप सभी लोगों की मदद करेगा इसमें कई ऐसे फंक्शंस दिए हुए हैं, जिसके जरिए आपको पता चल सकता है कि आपके आसपास कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति तो नहीं है, क्योंकि इस ऐप में उन सभी लोगों का डाटा एकत्र किया जाता है, जो लोग कोरोना वायरस से पीड़ित हैं

ये ऐप आपको फोन के ब्‍लूटूथ और लोकेशन के माध्‍यम से जानकारी एकत्रित करता है एप तभी काम करता है जब आप अपने मोबाइल नंबर को रजिस्‍टर करते हैं और ओटीपी से उसे वेरिफाई करते हैं. एक वैकल्पिक फॉर्म भी आता है जो नाम, उम्र, पेशा और पिछले 30 दिनों के दौरान विदेश यात्रा के बारे में पूछता है

एप हरे और पीले रंग के कोडों में आपके जोखिम के स्‍तर को दिखाता है. यह भी सुझाव देता है कि आपको क्‍या करना चाहिए. अगर आपको ग्रीन में दिखाया जाता है और बताया जाता है कि 'आप सुरक्षित हैं'तो कोई खतरा नहीं है अगर आपको पीले रंग में दिखाया जाता है और टेक्‍स्‍ट बताता है कि 'आपको बहुत जोखिम है'तो आपको हेल्‍पलाइन में संपर्क करना चाहिए इस ऐप में सभी राज्‍यों को हेल्‍पलाइन नंबर भी दीये हुऐ हैं

यह आपकी लोकेशन और ब्लूटूथ का इस्तेमाल कर यह जांचता रहता है कि आपके आसपास कोई संक्रमित व्यक्ति या संभावित संक्रमित तो नहीं है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की आशंका के बारे में अलर्ट/नोटिफिकेशन भी देता है। इसके लिए आपको मोबाइल में बैकग्राउंड में ऐप हमेशा चालू रखना होगा, साथ ही ब्लूटूथ और लोकेशन भी ऑन रखनी होगी साथ ही आपके संपर्क में आने वाले व्‍यक्ति के मोवाइल में ये ऐप होना चाहिए

इस एप्लीकेशन में आपको कुल 11 भाषाओं का सपोर्ट मिल रहा है जो इसे इस्तेमाल करने में काफी सरल बना देता है हम आपसे यही कहना चाहेंगे कि भारत सरकार का साथ देते हुए हैं इस एप्लिकेशन को डाउनलोड करें और कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में भारत सरकार का साथ दें और अपने परिवार को इस महामारी बीमारी से बचाएं।

अब इस ऐप के माध्‍यम से आप ई पास के लिए भी ऐप्‍लाई कर सकते हैं और अगर आप अपने घर से कहीं बाहर जा रहे हैं तो आपके फोन में आरोग्‍य सेतु ऐप का होना अनिवार्य है साथ अगर कभी किसी हॉटस्‍पॉट ऐरिया से गुजर रहे हैं तो भी ये ऐप को नोटिफिकेशन के माध्‍यम से सूचित करेगा

नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत ने ट्विटर पर लिखा है कि भारत कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के मामले में लीड कर रहा है. आरोग्य सेतु ऐप का डिजायन सुरक्षित है और करोड़ों के लिए मददगार साबित होगा. विश्व बैंक ने भी इस ऐप की तारीफ की है. संस्था का कहना है कि पूर्वी एशिया में डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल कर कोरोना के संक्रमितों तलाशा जा रहा है. इस तकनीक के जरिए उन्हें भी पहचाना जा सकता है जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं लेकिन उन्होंने टेस्ट नहीं करवाया है. भारत ने इसी तरह का एक ऐप आरोग्य सेतु बनाया है.

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जानें क्या है ई ग्राम स्वराज पोर्टल और स्वामित्व योजना - what is e-gramswarajportal and swamitva yojana

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देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 24 अप्रैल को सुबह 11 बजे राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर देशभर के सरपंचों से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया और ई ग्राम स्वराज (e-GramSwaraj) पोर्टल, मोबाइल ऐप एवं स्वामित्व योजना (swamitva yojana) का शुभारंभ किया आइये जानें क्या है ई ग्राम स्वराज पोर्टल और स्वामित्व योजना - what is e-gramswaraj portal and swamitva yojana

जानें क्या है ई ग्राम स्वराज पोर्टल और स्वामित्व योजना - what is e-gramswaraj portal and swamitva yojana

24 अप्रैल को देश के सरपंचों को विडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये बात करते हुऐ कहा कि गांव के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा ये दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरू किया गए हैं आपकी जानकारी के लिए बतादें कि देश में कुल गॉवों की संख्‍या 6 लाख 40 हजार 867 है और देश में करीब ढाई लाख ग्राम पंचायत हैं ग्रामीण आवादी की बात करें तो देश के गॉवों में करीब 83 करोड 30 लाख 87 हजार 662 लोग निवास करते हैं इन सभी को ध्‍यान में रखते हुऐ ये सेवायें शुरू की गई हैं

ई ग्राम स्वराज पोर्टल (e-gramswaraj portal)

भारत सरकार के पचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू किये गये इस पोर्टल पर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी सभी जानकारियां एक साथ मिलेंगी यहॉ ग्राम पंचायतों के फंड, उसके कामकाज की पूरी जानकारी होगी इसके माध्यम से पार्दशिता भी आएगी और परियोजनाओं के काम में भी तेजी आएगी इस पोर्टल पर ग्रामपंचायत में खर्च होने वाले फंड और विकास कार्य और आने वाली योजनाओं के बारे में भी जानकारी होगी यह ई-ग्राम स्वराज पोर्टल और ऐप पंचायतों का लेखाजोखा रखने वाला सिंगल डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा इस पोर्टल और ऐप के माध्‍यम से कोई भी व्‍यक्ति अपनी पंचायत में हो रहे कामों की बारे में जानकारी ले सकता है और वो जान सकता है कि किस योजना में कितना पैसा खर्च हुआ है

स्वामित्व योजना (swamitva yojana)

इस योजना के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि गांवों में संपत्ति को लेकर झगड़े होते रहते हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह होती है कि उस संपत्ति का काई लेखा-जोखा नहीं होता है लेकिन अब इस योजना में ड्रोन के जरिए देश के हर गांव में भूमि की मैपिंग की जाएग इसके बाद भूमि का स्वामित्व का प्रमाणपत्र दिया जाएगा इसमें एक बड़ी बात यह होगी कि पहले गांवों की जमीन पर बैंक से लोन नहीं मिलता है क्‍योंकि आपके पास उस भूमि के स्‍वामी होने का कोई प्रमाणपत्र नहीं होता था लेकिन अब भूमि का प्रमाणपत्र जारी होने के बाद उस संपत्ति के जरिए लोन भी लिया जा सकेगा इस योजना के जरिए गांवों में सामाजिक जीवन पर बड़ा असर पड़ सकता है बैंकों से लोन लेकर कई लोग अपना काम भी शुरू कर सकते हैं हालांकि अभी इस योजना को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और कर्नाटक सहित 6 राज्यों में ड्राइल के रूप में शुरू किया जाएगा उसके बाद पूरे देश में इसे लागू कर दिया जाऐगा

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कोरोना का भारतीय भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर - Corona impact on Indianeconomy

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ये तो हम जानते है कि देश मेें इस समय लॉकडाउन 2.0 चल रहा है कोरोना के बढते मरीजों को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने 14 अप्रैल को ये फैसला लिया था लेकिन कोरोना से ज्‍यादा चिंता अब लोगों ये सताने लगी है कि कोरोना खत्‍म होने के बाद देश की अर्थव्‍यवस्‍था का क्‍या हाल तो आइये जानते हैंं कोरोना का भारतीय भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर - Corona impact on Indian economy





कोरोना का भारतीय भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर - Corona impact on Indian economy



क्‍या है प्‍लाज्‍मा थेरेपी - What is plasma therapy

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जहॉ पूरी दुनिया कोरोनाजैसी महामारी से लड रहा है और इसका किसी के पास इसका कोई इलाज नहीं है वहीं प्‍लाज्‍मा थेरेपी इस वायरस से लडने के लिए एक उम्‍मीद की किरण दिखने लगी है और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस थेरेपी के माध्‍यम से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को ठीक किया जा सकता है पर क्‍या आप जानते हैं कि क्‍या होती है प्‍लाज्‍मा थेरेपी अगर नहीं तो आइये जानते हैं क्‍या है प्‍लाज्‍मा थेरेपी - What is plasma therapy

क्‍या है प्‍लाज्‍मा थेरेपी - What is plasma therapy

हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कोरोना वायरस के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है सबसे पहले इस थेरेपी का इस्‍तेमाल केरल में मरीजों पर किया गया जिन पर इसका बहुत अच्‍छा असर दिखा है और इसे अन्‍य मरीजों पर किया जा रहा है ऐसा नहीं है कि इस थेरेपी का इस्‍तेमाल पहली बार किया जा रहा हो इससे पहले भी इस थेरेपी का इस्‍तेमाल किया जा चुका है स्‍वाइन फ्लू फैलने के वक्‍त भी इसका इस्‍तेमाल किया गया था और थेरेपी उस समय काफी कारगर सावित हुई थी

क्‍या होता है प्‍लाज्‍मा (What is plasma)

प्‍लाज्‍मा रक्‍त में मौजूद एक पीले कलर का तरल होता है प्लाज्मा आमतौर पर बिलीरुबिन, कैरोटीनॉयड, हीमोग्लोबिन और ट्रांसफरिन के कारण पीला होता है यह शरीर के कुल रक्त की मात्रा का लगभग 55% होता है इसमें 90 से 92 प्रतिशत भाग पानी होता है और बाकी 8 से 10% भाग में कई कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ मौजूद रहते हैं प्लाज्मा की मुख्य भूमिका पोषक तत्वों, हार्मोन और प्रोटीन को शरीर के उन हिस्सों में ले जाना है जहॉ इनकी जरूरत है पानी, नमक और एंजाइमों के साथ-साथ प्लाज्मा में भी महत्वपूर्ण घटक होते हैं इनमें एंटीबॉडी, थक्के कारक और प्रोटीन एल्ब्यूमिन और फाइब्रिनोजेन शामिल हैं कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों के अलावा प्लाज्मा में ऑक्सीजन, कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन और अमोनिया आदि गैसें भी घुलित अवस्था में पायी जाती हैं यह लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स को शरीर के माध्यम से प्रसारित करने के लिए एक माध्यम प्रदान करता है इसमें इम्युनिटी के महत्वपूर्ण घटक भी होते हैं जिन्हें एंटीबॉडी के रूप में जाना जाता है एंटीबॉडी हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाला एक प्रोटीन है यह एंटीजन नामक बाहरी हानिकारक तत्वों से लड़ने में मदद करता है जब शरीर में एंटीजन प्रवेश करते हैं तब इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज बनाते हैं एंटीबॉडीज एंटीजन के साथ जुड़कर एंटीजन को बांध देते हैं और साथ ही इनको निष्क्रिय भी कर देते हैं यहीं आपको बता दें कि एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में हजारों की संख्या में एंटीबॉडी होते हैं

क्‍या होता है प्‍लाज्‍मा थेरेपी में

प्‍लाज्मा थेरैपी के तहत ठीक हो चुके लोगों के प्लाज्मा को मरीजों से ट्रांसफ्यूजन किया जाता है इस थेरैपी में एटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है, जो किसी वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में बनता है यह एंटीबॉडी ठीक हो चुके मरीज के शरीर से निकालकर बीमार शरीर में डाल दिया जाता है मरीज पर एंटीबॉडी का असर होने पर वायरस कमजोर होने लगता है इसके बाद मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है प्लाज्मा दान करने की प्रक्रिया में लगभग एक घंटे लगते हैं, जैसे की रक्त दान के दौरान लगते हैं. ऐसा कहा जाता है कि प्लाज्मा के डोनर्स को एक छोटे उपकरण से जोड़ दिया जाता है, जो प्लाज्मा को निकालता है, साथ ही साथ लाल रक्त कोशिकाओं को उनके शरीर में लौटाता है इस प्रक्रिया को प्लास्मफेरेसिस कहा जाता है एक प्‍लाज्‍मा डोनर प्‍लाज्‍मा दान करने के 10 बाद फिर से प्‍लाज्‍मा दान कर सकता है कोरोना वायरस से संक्रमण से ठीक होने के 28 दिन के बाद प्‍लाज्‍मा दान किया जा सकता है

डॉक्‍टरों की मानें तो कोरोना वायरस के तीन स्टेज हैं पहली में वायरस शरीर में जाता है दूसरी में यह फेफड़ों तक पहुंचता है और तीसरे में शरीर इससे लड़ने और इसे मारने की कोशिश करता है जो सबसे खतरनाक स्टेज होती है यहां शरीर के अंग तक खराब हो जाते हैं प्लाज्मा से इलाज के लिए सबसे सही वक्त दूसरी स्टेज होती है क्योंकि पहली में इसे देने का फायदा नहीं और तीसरी में यह कारगर नहीं रहेगा डॉक्‍टरों के मुताबिक, प्लाज्मा थेरपी मरीज को तीसरी स्टेज तक जाने से रोक सकती है

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इरफान खान का जीवन परिचय - Biography of irfan khan in hindi

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हिंदी भाषा सहित अंग्रेजी भाषा की भी कई फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता इरफान खान (irrfan khan) का 29 अप्रैल 2020 को मुम्‍बई में निधन हो गया वह 53 साल के थे और लंबे समय से एक दुलर्भ किस्म के कैंसर से जंग लड़ रहे थे इरफान को 2018 में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हुआ था तो आइये जानते हैं इरफान खान का जीवन परिचय - Biography of irfan khan in hindi

इरफान खान का जीवन परिचय - Biography of irfan khan in hindi

इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 में जयपुर के एक मुस्लिम पठान परिवार में हुआ था उनका पूरा नाम साहबजादे इरफान अली खान है उनके पिता टायर का व्यापार करते थे इनके पिता का नाम यासीन अली खान और माता का नाम सईदा बेगम था बॉलीवुड की दुनिया में अपनी अदाकारी के लिए मशहूर एक्टर इरफ़ान खान ने हॉलीवुड में भी काम कर चुके थे

इरफान खान वचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन फॅमिली की इजाजत न मिलने के कारण उन्हें अपना लाइन चेंज करना पड़ा इरफान जब एम.ए. की पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्‍हें नेशनल स्‍कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ाई के लिए स्‍कालरशिप प्राप्‍त हुई थी और इन्‍होंने 1984 में नेशनल स्‍कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला ले लिया इनका विवाह 23 फरवरी 1995 को सुपादा सिकदर से हो गया

केरियर

ड्रामा स्‍कूल में पढाई पूरी करने के बाद ये मुम्‍बई चले गये और यहॉ आकर इनके करियर की शुरूआत हुई इरफ़ान खान के करियर की शुरूआत टेलीविजन सीरियल्‍स से हुई थी ये शुरूआती दिनों में वे चाणक्‍य, भारत एक खोज, चंद्रकांता जैसे धारावाहिकों में दिखाई दिए थे इनके फिल्‍मी करियर की शुरूआत फिल्‍म ‘सलाम बाम्‍बे’ से एक छोटे से रोल के साथ हुई थी इसके बाद उन्‍होंने कई फिल्‍मों में छोटे बड़े रोल किए लेकिन असली पहचान उन्‍हें ‘मकबूल’, ‘रोग’, ‘लाइफ इन अ मेट्रो’, ‘स्‍लमडॉग मिलेनियर’, ‘पान सिंह तोमर’, ‘द लंचबाक्‍स’, ‘पीकू’ जैसी फिल्‍मों से मिली साल 2005 में इरफान खान को बतौर लीड रोल अपनी पहली फिल्म मिली थी और इस फिल्म का नाम ‘रोग’ था इरफान ने बॉलीवुड सहित कई हॉलीवुड फिल्मों में भी दमदार प्रदर्शन किया था

सम्‍मान

इरफान खान को 2011 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री अवार्ड दिया जा चुका है
साल 2003 में इन्‍हें फिल्मफेयर खिताब नेगेटिव किरदार के लिए दिया गया था
साल 2007 में खान को ‘लाइफ इन मेट्रो’ फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया था इसी फिल्‍म के लिए इन्‍हें 2008 में IIFA पुरस्कार भी दिया गया था
साल 2012 में इरफान ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था ये अवार्ड इनकी फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए दिया गया था

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ऋषि कपूर का जीवन परिचय - Rishi Kapoor Biography In Hindi

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हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता राज कपूर (raj kapoor) के बेटे और पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor) के पोते और अभिनेता रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) के पिता ऋषि कपूर जिनका 30 अप्रैल 2020 को बोन मेरो कैंसर के चलते 67 वर्ष की आयु में देहान्‍त हो गया तो आइये जानते हैं ऋषि कपूर का जीवन परिचय - Rishi Kapoor Biography In Hindi

ऋषि कपूर का जीवन परिचय - Rishi Kapoor Biography In Hindi

यह भी देखें - इरफान खान का जीवन परिचय – Biography of irfan khan in hindi

ऋषि कपूर का जन्‍म 4 सितंबर, 1952 को पंजाब के कपूर परिवार में मुंबई के चेम्बूर में हुआ था इसकी प्ररि‍म्भिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से पूरी हुई बाद में अजमेर के मेयो कॉलेज से आगे की पढाई पूरी की 22 जनवरी 1980 में कपूर ने अभिनेत्री नीतू सिंह (Actress Neetu Singh) से शादी की उन्हें एक बेटा और एक बेटी है उनका बेटा रणबीर कपूर अभिनेता है और उनकी बेटी रिद्धिमा कपूर सहनी डिज़ाइनर है

केरियर

ऋषि कपूर 1970 में पहली बार उनके पिता की फ़िल्म “मेरा नाम जोकर” में अपने पिता के बचपन का किरदार निभाया था इससे पहले वह 'श्री 420'में छोटे बच्चे के रूप में नजर आ चुके थे इसके बाद 1973 में रिलीज़ हुई फ़िल्म “बॉबी” में ऋषि कपूर मुख्य भूमिका में नजर आये और उनके साथ डिम्पल कपाडिया भी मुख्य किरदार निभाती हुई नजर आयी थीं 'बॉबी'की जबरदस्त सफलता के बाद ऋषि 90 से ज्यादा फिल्मों में रोमांटिक रोल करते नजर आए थे उन्होंने एक इंग्लिश फ़िल्म “डोंट स्टॉप ड्रीमिंग” में भी काम किया था उस फ़िल्म को उनके भाई आदित्य राज कपूर ने निर्देशित किया था उन्होंने फिल्म “आ अब लौट चलें” (1999) को निर्देशित किया जिसमें ऐश्वर्या राय और अक्षय खन्ना ने फिल्म में बेहतरीन भूमिका निभाई थी जो बॉक्सऑफिस पर सुपरहिट रही थी

पुरस्‍कार

1974 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - बॉबी
2008- फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

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जानें क्‍वारंटाइन और आइसोलेशन में क्‍या अंतर होता है - Know what is the differencebetween quarantine and isolation

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कोरोना वायरसमहामारी के फैलते आज कल ये शब्‍द खूब सुनने को मिल रहे हैं लेकिन बहुत से लोग इन शब्‍दों का मतलब नहीं जानते हैं और न ही ये जानते हैं कि इनमें अंतर क्‍या होता है तो आइये जानें क्‍वारंटाइन और आइसोलेशन में क्‍या अंतर होता है - Know what is the difference between quarantine and isolation

जानें क्‍वारंटाइन और आइसोलेशन में क्‍या अंतर होता है - Know what is the difference between quarantine and isolation

क्‍वारंटाइन क्‍या है (What is quarantione)

असल में क्‍वारंटाइन फ्रैंच भाषा का शब्‍द है जिसका मतलब होता है 40 दिन, इस शब्दा का सबसे पहले इस्तेमाल 14वीं शताब्दी में किया गया था दरअसल 1348 से 1359 के बीच एशिया और यूरोप में प्लेग की वजह से करोड़ों लोग मर गए थे इसके बाद अलग-अलग देशों ने दूसरे देश से आने वाले जहाजों और उस पर सवार लोगों पर 30 दिनों की रोक लगा दी जहाज समंदर के किनारे आते तो थे लेकिन उन्हें शहर में दाखिल नहीं होने दिया जाता था उस वक्त इस पीरियड को ट्रेनटाइन कहा जाता था लेकिन बाद में पता चला कि प्‍लेग के मरीज में लक्षण संक्रि‍मित होने के 37 दिन बाद दिखते हैं तब इस समय को बढा कर 40 दिन कर दिया और इसे क्‍वारंटाइन कहा गया अगर हम बात करें कोरोना वायरस के सम्‍बंध में तो जब कोई व्‍यक्ति किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ जाता है या संपर्क में आने की आशांका होती है तो उस व्‍यक्ति को क्‍वारंटाइन कर दिया जाता है कोरोना वायरस में करंटाइन का समय 14 दिन का है 14 दिन के भीतर ही उस व्‍यक्ति में कोरोना के लक्षण हैं या नहीं दिखने लग जाते हैं ि‍जिस व्‍यक्ति को क्‍वारंटाइन किया जाता है उसका हर रोज मेडिकल चेकअप होता है, उसका हेल्थ बुलेटिन जारी होता है. इसके अलावा उस आदमी से हॉस्पिटल के स्टाफ के अलावा और कोई नहीं मिल सकता है. क्वॉरंटीन किए गए शख्स को हर वक्त मास्क लगाना ज़रूरी होता है. उसके कपड़े, बर्तन सब अलग होते हैं, बेड, तौलिया, तकिया सब अलग होता है और कोई दूसरा उसका इस्तेमाल नहीं कर सकता है

आइसोलेशन क्‍याा है (What is isolation )

आइसोलेशन में ऐसे मरीजों को रखा जाता है जिनमें कोरोना का संक्रमण हो चुका है आइसोलेशन का मतलब है अलगाव या एकांतवास अगर कोई व्‍यक्ति किसी कोरोना पीड़ित शख्स के संपर्क में आ गए हैं तो भी वह खुद को आइसोलेट कर सकता है इसके अलावा अगर आपको सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो भी कोई व्‍यक्ति खुद को आइसोलेट कर सकता हैं कोई व्‍यक्ति अपने घर में आइसोलेट रह सकता है वह आइसोलेशन के दौरान हवादार कमरे में रहें अलग बाथरूम का इस्तेमाल करें हॉस्पिटल न जाएं जांच करानी हो तो फोन से सूचना दें जिससे स्वास्थ्य विभाग की टीम सुरक्षित तरीके से सैंपल ले सके जांच के लिए लार देते समय सावधानी बरतें सांस लेने में परेशानी हो तो तत्काल डॉक्टर से बात करें जरूरत के हिसाब से अस्पताल में रहेंअपने आप से दवा न लें। सार्वजनिक यातायात, कैब, टैक्सी आदि से भी बचें 14 दिनों के बाद अगर आप आइसोलेशन से बाहर निकलते हैं तब भी आपको सावधानी रखनी ही होगी

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मैगी का इतिहास - History of Maggi in Hindi

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अगर काेई आपसे कहे कि मुझे दो मिनट में कुछ ऐसा खाने के लिए बना कर दो जो मुझे अच्‍छा और स्‍वादिष्‍ट लगे तो आप क्‍या बनायेंगे सोचो और सोचो सही कहा मैगी ना क्‍योंकि केवल मैगी ही ऐसा फूड प्रोडक्‍ट है जो दो मिनट में तैयार हो जाता है लेकिन क्‍या आप जानते हैं इसको इतिहास के बारे में अगर नहीं तो आइये जानते हैं मैगी का इतिहास - History of Maggi in Hindi

मैगी का इतिहास - History of Maggi in Hindi

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मैगी का इतिहास काफी पुराना है मैगी नूडल्स (Maggi noodles) बनाने वाले का नाम जूलियस माइकल जोहानस मैगी (Julius Michael Johannes Maggie) था इनका जन्‍म 9 अक्‍टूबर 1846 को हुआ था वो स्विट्जरलैंड के रहने वाले थे उन्हीं के नाम पर मैगी का नाम 'मैगी'पड़ा था असल में जूलिसस माइकल आपने पिता आटे की फैक्‍ट्री में हाथ बटाने लगे थे लेकिन ये काम ज्‍यादा अच्‍छा नहीं चल रहा था तो 1886 में उन्होंने सोचा कि वो ऐसे खाद्य पदार्थ बनाएंगे, जो जल्दी से पक जाए ये वो समय था जब स्विट्ज़रलैंड का मील उद्योग बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा था इसलिए Julius एक चिकित्सक Fridolin Schuler के साथ मिलकर एक रेडीमेड फ़ूड बनाने में जुट गए. ऐसा फ़ूड जो रेडी टू ईट मतलब जो झटपट तैयार हो जाए बस यही से मैगी की शुरुआत हुई थी साल 1897 में सबसे पहले जर्मनी में मैगी नूडल्स पेश किया गया था चूंकि इसे वर्किंग क्लास के लोगों को ध्यान में रख कर बनाया गया था तो स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने इसे सपोर्ट किया इसकी मदद से सरकार महिलाओं को बाहर निकलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती थी उस समय महिलाओं ने पुरुषों की तरह ही नौकरी करना बस शुरू ही किया था इसके बाद इन्‍होंने कई अलग- अलग प्रकार के सूप मार्केट में उतारे. वो भी मैगी जितने पसंद किए गए. इसके बाद मैगी एक फ़ेमस ब्रैंड बन चुका था. इसकी सफ़लता को देखते हुए उन्होंने पेरिस, बर्लिन, सिंगेन, वियना(Vienna), लंदन और कुछ अमेरिकी शहरों में भी मैगी को बेचना शुरू कर दिया था

भारत में मैगी (Maggie in India)

अगर हम भारत की बात करें तो भारत में 1980 में नेस्‍ले इंडिया (Nestle India) नाम की कंपनी ने मैगी को शुरू किया था दसअसल 1947 में नेस्‍ले ने मैगी का अधिग्रहण कर लिया
फिल्म स्टार प्रीति जिंटा, माधुरी दीक्षित और अमिताभ बच्चन मैगी के ब्रांड एंबेसडर रह चुके है 15 मई, 2015 को, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने बताया कि '2 मिनट मैगी'नूडल्स के नमूनों में एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) के अप्रत्याशित स्तर के साथ-साथ सीसे की स्वीकार्य सीमा 17 गुना अधिक थी। बिग बाज़ार, इज़ीडे और नीलगिरी जैसे कुछ सबसे बड़े खुदरा विक्रेताओं ने मैगी पर प्रतिबंध लगा दिया 6 जून 2015 को केंद्र सरकार ने मैगी पर देशव्यापी प्रतिबंध की घोषणा की थी मैगी को सरकार के दबाव के कारण बाज़ार से 320 करोड़ रुपये का स्टॉक वापस लेना पड़ा हांलाकि नवंबर 2015 में मैगी ने अपने आप को सही सावित किया एक बार फिर से भारतीय बाजार में सफल वापसी की और मैगी ने 30 नवंबर 2015 को भारत में सभी पांच फैक्‍ट्रीयों में अपना उत्पादन फिर से शुरू किया
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के एक बयान के अनुसार देशव्यापी प्रतिबंध से पहले मैगी की भारत के बाजार में 90% हिस्सेदारी थी जबकि बाद में ये हिस्‍सेदारी घटकर 53% रह गई
कई लोगों का प्रश्‍न है कि जब मैगी 2 मिनट में नहीं बनती है तो कंपनी ऐसा क्‍यों कहती है कि मैगी 2 मिनट में तैयार हो जाती है मैं आपको बता दूॅ कि अगर आप मैगी पर लिखें इंट्रक्‍शन को फॉलो करेंगें तो ये 2 ही मिनट में बनेंगी लेकिन अगर आप इसे अपने तरीके से बनायेंगे तो इसे बनाने में समय लेगेगा

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